गीत जात सपाखरु महादेव जी रो दीप चारण कृत


गीत जात सपाखरु महादेव जी रो दीप चारण कृत

डमा डमा  डमाक  गूंजावते डमरू डणकांरा,
त्रिकाल  त्रिलोक धरा पताल आकाश।
भक्तांरा असुरांरा अघोरांरा आराध्य भोला,
करतांह कूदा कूद धूजावे कैलाश।।  1

गले मूंड माला पाण त्रिशूल विशाला जटा गंग,
बहे कल्ल कल्ल भोला सुभाव बहाव।
दिगम्बर बाघाम्बर पैर पीर पैगाम्बर ओप्ता,
ज्टाला जोराला दाड़ी मूछ वाला दे ताव।।  2

चंद्रभाल नेत्रलाल भंगगाल पी करे कमाल,
भोलो भूताॅ रो प्रेताॅ रो मसाणाॅ रो भूप।
अंगा अंगा भुजंगा फूंकांरा जटा बहे गंग धारा,
अघोरा उम्या प्यारा थांरा रूप अनूप।। 3

कालकाल महाकाल ललाटाक्ष कपाली कामारी
त्रिपुरारी सोम नीलकंठ  त्रिलोकेश ।
सुत हेक दंत अंश हनूमंत पूजे सब संत,
विश्वेश्वर वीरभद्र भीम व्योमकेश ।।  4

हिमालै रा जमाता कार्तिकेय ताता हिरण्यरेता,
वृषांकं वृषभारूढा देव वामदेव।
मृगपाणी शूलपाणी गुंजे डिमं डिमं वाणी,
मृत्युंजय पंचवक्त्र रूद्र महादेव।।     5

रूप धरे द्वादश्श गांजे रा ले कस्स बस्स विराने,
तूं ही नव रस्स थांरो जग गावे जस्स ।
भुजंगा अंगा अंगा रमे मस्त मलंगा भर्ग भमे ।
घूमे घूमर घाले भस्मी शरीर घस्स ।।  6

सामप्रिय दुर्धर्ष गिरीश विरूपाक्ष शम्भू ,
शंकर श्रीकंठा शितिकंठा गणनाथ ।
अवधूत पूषदन्तभित्त तमे नमे भूत प्रेत,
हे हर! हूर गन्धर्व सर्व जोड़े हाथ ।।     7


°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°° दीप चारण



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