माधव मेरे मीत

मन्न मनोहर मोहके, मुस्कात तु टँग भींत। बैण दो बोल बन्तला, माधव मेरे मीत।। छंदा दोहा सोरठा, गा नी जाणू गीत। बैण दो बोल बन्तला, माधव मेरे मीत।। प्यासो पंछि पुकारतो, पाल मन्न में प्रीत। बैण दो बोल बन्तला, माधव मेरे मीत।। सुनकर दिल में दबा, मंद मंद संगीत । बैण दो बोल बन्तला, माधव मेरे मीत।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण मन वन कहुके मोर, विरह री घिरी बादली। समीर सम कर शौर, मंद मंद आ माधवा।। मम मन होय मसाण, मरण लगा अरमान अब। राधा री है आण, मोड़ो मत कर माधवा।। आवन तजू न आश, पथ तक तक नैन थकिया। बूझा अखियन प्यास, कर मत मोड़ो केशवा।। इर्द-गिर्द (हो) आभास, गर कण कण तुम बसे। दीप ने दिखा (दे) रास, मोड़ो मत कर माधवा।। चुग चुग आखर चंद, माला बणावण म्हुँ खपूं। जाणूं न कोय छंद, सब थूं जाणे सांवरा।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण