नवल जी जोसी


आँखां चश्मो ओपतो , धवल नवल गुरु केश ।
जबर उकेरे जोशिजी , हरकत हृदय हमेश ।।
हरकत हृदय हमेश , ठावता कविता ठावी ।
साचो दे संदेस ,  भटकत न पीढी भावी ।
मार धूड़ में लठ्ठ , लगा दे शब्द रै पाँखां ।
खोलदे ज्ञान पट्ट , आंधां रै आवै आंखां ।।

°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण



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