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Showing posts from August, 2015

सिव स्तूति भुजंग प्रयात

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अवधूत अष्टकम् दीप चारण कृत गणपति थांरा गांउ गुण , गुणी ग़ज़ब तुं गणेस । सुडाला सदा साद सुण , हरजै कष्ट हमेस ।। सिव सुत सुंडाला जपु हुँ  , सुरसति दीजौ उक्ति । बम बम  भोले बोलतो,n साद सदा  सिवसक्ति ।।    ।।भुजंग प्रयात ।। सदा साद भूतेश रूद्रं महेसं । उमा संग वासं हिमालै निवासं ।। नचे नाच नाटं पिये घोट भंगा । भुजंगेस अंगा धरे सीस गंगा ।। ।1।  सदैवं नमे  नाग  देवं  अदेवं । भयं भंज भोले  करे भक्त सेवं ।। अजन्मा अनोखा अघोरी अढंगा। भुजंगेस अंगा धरे सीस गंगा ।। ।2। पुजे सावणं मास कन्या कुवांरी  । पुजंते -पुजंते  पि पावै  पियारी ।। धरे ध्यान सोमं अऊमं मतंगा । भुजंगेस अंगा धरे सीस गंगा ।।।3। सिवं तांडवं नाच गौरीय तांकै । हहो हांक हांकै सिखीराज बांकै।। पहाड़ं  पहाड़ं  मचा  हूँड़दंगा । भुजंगेस अंगा धरे सीस गंगा ।।।4। धमा धम्म झूमे नचे खोल जट्टा । घमा घम्म घूमे उड़े केस लट्टा ।। बजाते डमा डम्म डैरू मृदंगा । भुजंगेस अंगा धरे सीस गंगा ।।।5। तताकं तताकं तके तीन लोकं । धधक्कै धुणो देय...

गुरु पुर्णिमा

गुरु पावन ज्ञान गंगा , सुरिलो गुरु संगीत । जगावै ज्योति जीव में , मनङा गुरु ही मीत ।। तम मेटे गुरु तेर , गुरु प्रभु गुरु मात पिता। व्है जे गुरु री मेर , दिसे सांतु भो  दीपया ।। ••••••••••••••••••••••••••दीप चारण

कविता जुद्ध अर जौहर दीप चारण कृत

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 कविता :- जुद्ध अर जौहर  साॅमी उभी सैना अरि सूराँ बाजै रणभेरी, भाळिये सूरां बणे ठणे पुकारै भोम । कटि काठी कसो सूरां फौज बैरी घणी लुँठी, रण भौम रज्ज करे उभो रोम रोम ।।      [1] कटि घाते कटार बांधो कटिबंध कैशरी, पक्खर काठो कसे सजे कैशरी  पाग । ढोल नगारे घुरे घोर ढम्मांक ढम्म ढम्मा, खांचै लगाम हाथाॅ माॅ थाम ढाल खाग ।। [2] तकै फौजा आमी-सामी वाजै तड़ो तड़ तेगा, पळक्कै तड़ीत तेगाॅ चाले जद पाण । तङाक छोड़ तीर वीर प्रतंचा तेज ताणो, बुहा बरछी भाला छोड़ धनँख बाण ।।    [3] करै हाको उभो रैजे लारे वीर आगे बैरी, दुस्मी तुरंग चढे नाठो दुम्म दुबाक । कूदे कड़क्यो  लारै करै केहरी केसरियो, झप्पट्टो  झड़ाॅ-फड़ाॅ झट्ट मारै झपाक ।।  [4] खचा खच्च खचा खच्च पाड़े पड़े काटे कटे, मारे मरे सब्ब ओर सजाया मसाॅण । झाका झीक झाका झीक दौड़े घौड़ा जौद्धा झूझै, घनघोर खैह उडे माण्डे घमसाण ।।        [5] खड़ंग ढाल खड़ा खड़ जोर जोर खड़क्कै, भचीड़ भचीड़ चहुंओर गुँजै भड़ाक । सूरां खचाक खचाक खच्च खच्च पाड़ै बैरी, घुरे घोर नगारे गड़ा ग...