Posts

Showing posts from May, 2015

बादली अर सावण

Image
बालक बिलखे बादली , घुमती घिरती आय । रहगी रुखी सुखी धरा , मेट मेघला लाय ।। मेट मेघला लाय , झिर मिर झरंतो जाए। खेत खडा लहराय , किसान जोये हरसाए ।। गीत मोरिया गाय ,घटावां बजाय ढोलक । नाडियां भरिय नीर , झबलक झिलसे बालक ।। सावण आयो हे सखी , हिंडवां हिय ललचाय । नैणा बिछाय पथ तकूं , कंत घरां कद आय ।। कंत घरां कद आय ,बाट जोय जोय थाकिय । हिय बिलखतोय जाय , आंसुडा नैणइ नाखिय ।। पिहर लागत पराय , पिया बिन सुनो जीवन। घररर घन घुरजाय , कंत बिन कैसो सावन ।। ••••••••••••••••••••••••••दीप चारण उमडी घुमडी घनघोर घटा हडडाट घणोय मचाय रही । घुमती घिरती चहुओर घटा झुमती बरखा बरसाय रही । चपला चमकी छलकी डरगी सजनी अँसुवां ढलकाय रही । मधरी महकी बहकी सिणगार धरा खुसबू  बिखराय रही । ••••••••••••••••••••••••••••••••••••दीप चारण

सांवरा

Image
झांकु  स्याम चढ झरोखा , दिसा द्वारिका देख । बंसी  मघुर  आय  बजा  , काढ  हिये  री मेख ।। म्हुं मीरा मरुदेस री , जगी प्रीत जदुराज । चलूं द्वारिका आज  , सामो आजै सांवरा।। •••••••••••••••••••••••••• दीप चारण वीणा बजाय बिरहणी , गीत बिरह रा गाय । नाह नरायण आय सुण , आतुर अधर बुलाय ।।  वीणा बजाय बिरहणी , तणणनं करत तार  । घन स्याम मन भिंजोय दे , मीरा   गाय   मलार ।। मीरा मन बन मोर बन, झुमती नचती  जोर । आय घुमंत घिरंत अति ,स्याम घटा घनघोर ।। वीणा बजाय बिरहणी , गीत  बिरह  रा गाय । मीरा  कंठ  राग   मधुर , सुणे  सांवरा  आय ।। । किरीट सवैया । मोहन साध सुरं बजती मुरली मधुरं मन कानन होयन । राग सुनी मधरी मधरी चल गोपि निहारि लगी मन मोहन । माधव लोचन लाल लगे मद मादक मोहक नाचत गोपन । मोर बनी रमती रमिया कर थामत...

सब्द

सब्द        दीप चारण ब्रह्म सब्द  ब्रह्माण्ड सब्द अउम सब्द ओमकार सब्द मैं सब्द तुं सब्द हम तुम सब्द सब्द से कहता सब्द सब्द  से टकराता सब्द सब्द सब्द से बनता सब्द राम सब्द रहीम सब्द गीता सब्द कुराण सब्द सब्दो की हैं ये  सब माया किसी ने गमाया किसी ने पाया कोई गुंजते हैं  जोर सब्द सब्द का सोर फैला हैं ये चहुओर सब्द से सांझ सब्द से भोर सब्द सति सब्द शीव सब्द राधा सब्द सक्ति सब्द स्याम सब्द भक्ति सब्द से उच्चारण सब्द से ही चारण सब्द मति सब्द जप शब्द सोर्य सब्द तप सब्द साहस सब्द पवन सब्द पावक सब्द पावस सब्द से सोर्य आता सब्द सोतो को जगाता सब्द धरा सब्द अम्बर सब्द जर्रा जर्रा सब्द अथाह समंदर सब्द स्वास सब्द धङकन सब्द विस्वास सब्द तङपन सब्द मुझमें तुं सब्द तुझमें मैं सब्द ही आत्मा सब्द ही प्रमात्मा न आदि न अंत सब्द अनादि अनंत सब्द कायर में वीरत्व जगाता । सब्द ही सोर्य से सोर्य को लङाता जब चारण सब्द की माळा धुमाता सब्द ही जिवाङे सब्द ही पाङे उखाङे सब्द आशा सब्द भाषा बीन सब्द जीवन घोर निराशा सब्द हंसात...