मां हिंगलाज आवड़ करणी
हिये बसे हिंगलाज आफत आंधी आवतां , लाल री रखे लाज । आप बिना नी आसरो , हिये बसे हिंगलाज ।। टैम तोड़तो टांगड़ा , बैरी आय न बाज़ । बदन कर दे बज्र रो , हिये बसे हिंगलाज ।। डुंगर वाली डोकरी , तखत ना मांगु ताज । बिनती इती ज बाल री , हिये बसे हिंगलाज ।। मेहर करदे मावड़ी , आज सुणे आवाज़ । दुखड़ा मेटो दीप रा , हिये बसे हिंगलाज ।। गिरिवर वाली गौरजा , गिरती रोके गाज । दीपतो राख दीपड़ो , हिये बसे हिंगलाज ।। आसीस दिजै अम्बिका , क़दी न बिगड़े काज । नाक नमे दीप नितरो , हिये बसे हिंगलाज ।। हथ्थ सिर रखे बिसहथी , करे दीप कविराज। रचजे कविता रातदिन , हिये बसे हिंगलाज ।। असुर दलन तूं अवतरे , सदा चारण समाज। सातूं संग सहेलियाँ , हिये बसे हिंगलाज ।। सातूं देवी संगिनी , सोल सिणगार साज़ । भैरू ने ले भैलियां , हिये बसे हिंगलाज ।। नवदिन रम नवरातरा , नच नच करती नाज । सातूं संग सहेलियाँ , हिये बसे हिंगलाज ।। हाजर हेले होवजै , बैगीह सिंह बिराज । तरणी म्हारी तारजै , हिये बसे हिंगलाज ।। मुल्ला पढ़े निज मुल्क मा , नानी कहे नमाज़ । नद्य हिंगोल नहावता , हिये बसे हिंगलाज ।। रण म...