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भूचरमोरी जुद्ध

भूचरमोरी शाह मुज्जफर खटकतो, अकबरिये री अंख। कोका अजीज कूदियो, पतशाही ले पंख।। फकत मुगल कर ली फते, कर मुज्जफ्फर कैद । भळ मुज्जफ्फर भाजियो, छेवट भींतां छेद।। दर दर कर दरकार, मुज्जफर शरण मांगतो। देख्यो न कोय द्वार, रीतां रघुकुल राखतो।। जिक्र सुण किथ जाम रो , नाठो न्वा नगरीह। जाम सत्रसाल दी शरण, खातरी कर सांतरीह।। रणथंभौर हमीर री, शरण शाह माहीम। आयो शरण आथडे़ , जाम री मुज्जफर जीम।। रावण जद ही रूठियो,विभिषण पायो राम। मुज्जफर उथब मुगल सों,जोय सत्रुसल जाम।। नामी दौलत खान , गौरी नवाब (जुने) गढ्ढ रो। कुंडला नृप लोमाण , मदद करी मुज्जफर री।। काहे शरण दी काफिरों, खाओ हम से खौफ। कोको अजीज कूकियो,मुज्जफर म्हानै सौंप।। सुंदर सूरत श्याम सी, तीक्ष्ण मुखड़े तेज। बाहुबली बलराम सो,कुंवर अजा जड़ेज।। सूरज वरवा आवियो, तोरण बंध्यो द्वार। भळ सोढी भलसाण री, भळ अज्जो भरतार।। परणन सोढी पाटवी, जाम अजो जी जाय। कांकण डोर न खूलिया, रूक्को रण नो आय।। परणियो सोढी पदमणी, सूतो संग न सेज। चंवरी सूं रण धर चालियो , जाम अज्जा जड़ेज।। चौबिस कल्ला चंद्र री, जोवो इणि जदुवंश । नवानगर ना ई...