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गाय की पुकार ,क्षत्रियों कर लो जिहाद ।

              गऊ माता की पुकार  पुजा पाठ तीर्थ  घाट पर न कुछ पाओगे । गायों की कर लो रक्षा पुण्य तुम कमाओगे । कौनसा कृष्ण शान्ति दूत बनकर आयेगा ? कलयुग के दुर्योधनों को कौन समझायेगा ? क्या तुमको नही दिखते ,गौ रक्त के बहते नाले ? छाछ के साथ जब तुम लेते हो, रोटी के निवाले ? अगर नहीं खोलता तेरा खून , दूध दही छाछ पर न तेरा अधिकार हैं  । गर तु करता हैं फिर भी भोग,  तो तेरे क्षत्रिय होने पर धिक्कार हैं । क्यों बजती है तेरे जन्म पर थाळी  ? क्यों जाती हैं मेरी सारी बातें खाली ? मत बजाओ  मेरी कविता पर ताली । क्योंकि ये दे रही हैं हम सबको गाली । वेश्या से भी गंदा नेता का चरित्र हैं । ऐसा ही अपना लोकतंत्र हैं  यही  लोकतंत्र हैं। जब तक तुम सब  न होंगे तैयार । तब तक कुछ नहीं करेगी सरकार । सारथी बनकर अब तुम ही कर दो मागदर्शन । कृष्ण बनकर गौ हत्यारों पर चला दो चक्र सुदर्शन । सोचो क्यों हम उनके देवलो पर माथा टेकने जाते हैं? क्यों पाबू ज...